क्या है बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर विवाद?

Banke Bihari Mandir के आसपास 5 एकड़ में एक नया कोरिडोर बनाया जाएगा जिस पर लगभग 900 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसमें एक साथ 10000 श्रद्धालु रुक सकेंगे। जुगल घाट से मंदिर तक सीधा रास्ता बनेगा। कोरिडोर में दो तल होंगे और भक्तों के लिए सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी जिससे दर्शन और आसान हो जाएंगे।

Shri बांके बिहारी कॉरिडोर निर्माण के साथ ही श्रीराधा-कृष्ण की लीला स्थली वृंदावन के अलौकिक स्वरूप को और निखारने की तैयारी है. यह करीब 5 एकड़ में बनेगा. इसे बनने में लगभग 3 साल का समय लग जाएगा. योगी सरकार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत मंदिर के रास्तों को चौड़ा किया जाएगा

वृंदावन की तंग गलियों में गूंजते “राधे-राधे” के स्वर और लाखों श्रद्धालुओं की भावनाओं के बीच एक नई आवाज उठ रही है—कॉरिडोर बनाओ, भीड़ हटाओ। पर ये मांग जितनी सरल दिखती है, हकीकत में उतनी ही उलझी हुई है। सवाल है—क्या बांके बिहारी मंदिर का कॉरिडोर आस्था की रक्षा करेगा या उसकी आत्मा को चोट पहुंचाएगा?

बांके बिहारी मंदिर कोई आम धार्मिक स्थल नहीं, ये एक जीवंत अनुभव है। यहां ठाकुर जी के दर्शन भी उनके सेवायतों की इच्छा और परंपराओं पर आधारित होते हैं। मंदिर के अंदर हर क्षण, हर आरती, हर श्रृंगार, अपने आप में एक रासलीला है।

भीड़ का आलम यह है कि हर दिन हजारों, त्योहारों पर लाखों श्रद्धालु इन तंग गलियों से होकर मंदिर पहुंचते हैं। इन्हीं गलियों को कुंज गलियां कहा जाता है, जिनमें वृंदा और वन की पवित्र कथा बसती है।

बांके बिहारी मंदिर की व्यवस्था ठीक नहीं है। इंसान एक के ऊपर एक गिरता है, चोट लगती है, धक्का-मुक्की होती है। यह नहीं होना चाहिए। दूसरे मंदिरों में ऐसा नहीं है। इसलिए मैं तो कहती हूं कि यहां कॉरिडोर बनना ही चाहिए। –मीनू, श्रद्धालु

क्राउड ही तो मैनेज करना है, इसके बहुत सारे तरीके हैं। यमुनाजी के तट पर कॉरिडोर बना सकते हैं। बाकी गलियों का चौड़ीकरण भी तो किया जा सकता है। कुछ और समाधान निकाला जा सकता है। लेकिन, इनका फोकस तो मंदिरों के धन पर है। तानाशाही ही करनी है तो फिर ठाकुर जी ही मालिक हैं। -अनुराधा गोस्वामी, सेवायत

मथुरा के वृंदावन में बांके बिहारी कॉरिडोर बनाने की सहमति सुप्रीम कोर्ट दे चुका है। उसके बाद से इसका समर्थन और विरोध शुरू हो गया। तमाम श्रद्धालु चाहते हैं कि कॉरिडोर बने। लेकिन, मंदिर के सेवायत गोस्वामी परिवार और स्थानीय व्यवसायी अब तक इस बदलाव के फैसले को स्वीकार नहीं कर सके हैं। कभी सीएम और पीएम को खून से पत्र लिख रहे, तो कभी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।

एक घटना, जिसके बाद कॉरिडोर का फैसला हुआ 2022 में 19 अगस्त को जन्माष्टमी थी। पूरा मथुरा श्रद्धालुओं की भीड़ से भरा था। वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर के आसपास की गलियों में करीब 5 लाख लोग थे। रात 12 बजे मंगला आरती होनी थी, इसलिए हर कोई इसे देखना चाहता था। बांके बिहारी मंदिर के आंगन में डेढ़ हजार की क्षमता थी, लेकिन करीब 3 हजार लोग थे। इसी बीच धक्का-मुक्की शुरू हुई और एक व्यक्ति बेहोश हो गया। उसे देखते ही भगदड़ मच गई। थोड़ी देर बाद जब सब कुछ कंट्रोल हुआ, तब पता चला 2 लोगों की मौत हो चुकी है। 40 से ज्यादा गंभीर रूप से घायल हॉस्पिटल पहुंच गए हैं।

खून से पत्र लिखा, कहा- मत करिए ऐसा हम वृंदावन की गलियों से होते हुए बांके बिहारी मंदिर पहुंचे। यहां गोस्वामी परिवार की महिलाएं कॉरिडोर के विरोध में धरना-प्रदर्शन कर रही थीं। अनुराधा गोस्वामी कहती हैं- कॉरिडोर का प्रपोजल तो 2023 से बन रहा है, उसे लेकर क्या ही कहें। इन्हें क्राउड ही मैनेज करना है, उसे रोक सकते हैं। उसके लिए यमुना जी पर कॉरिडोर बना सकते हैं, वहां से रोक-रोककर पब्लिक भेज सकते हैं।

कॉरिडोर बनने में 285 भवन तोड़े जाएंगे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सर्वे के काम में तेजी आ गई है। कुल 285 भवनों की पहचान की गई है। ये सभी तोड़े जाएंगे। इसमें 188 आवासीय भवन हैं, बाकी 97 दुकानें हैं। जिनके मकान जाएंगे, उन्हें सर्किल रेट से ज्यादा मुआवजा दिया जाएगा। इसके अलावा वृंदावन में ही उनके लिए फ्लैट बनाए जाएंगे। जिनकी दुकानें टूट रही हैं, उनके लिए कॉरिडोर में ही दुकानें बनाई जाएंगी। इस वक्त कई दुकानें बहुत छोटी हैं, कॉरिडोर में बनने वाली दुकानों का साइज एक बराबर होगा।

सरकार की तरफ से संवाद की कमी है वृंदावन केवल एक स्थान नहीं, यह एक भाव है। और भावनाओं का समाधान सिर्फ कानून से नहीं, संवेदना से भी आता है। अंत में बस यही बांके बिहारी सबके हैं। उनका घर भी सबका है। तो उसका भविष्य भी सबके साथ मिलकर ही लिखा जाना चाहिए।

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